Sonia Jadhav

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डांसिंग कपल - ए लव स्टोरी भाग 7

भाग 7
रात 11 बजे तारा के फोन पर मैसेज की आवाज़ आती है और तारा गहरी नींद में सोयी होती है। जूही पढ़ रही होती है। फोन पर मैसेज की आवाज सुनकर तारा को कहती है…..तारा देख अमर का मैसेज आया है, उठ देख ना….
ओह हो जूही सोने दे ना। मुझे नहीं देखना कोई मैसेज-वैसेज इस वक़्त, सोने दे।

अरे यार तारा वो बार-बार मैसेज कर रहा है। उसकी मैसेज की बीप-बीप से मुझे पढ़ाई करने में परेशानी हो रही है। ऐसा करती हूँ तेरा फोन ऑफ कर देती हूँ। एकदम तारा नींद से हड़बड़ाकर कर उठती है और कहती है रुक जूही, फोन मत ऑफ कर। आज इसी बात पर तो झगड़ा हो गया था हमारा। अब मैं रोज़-रोज़ बेकार का झगड़ा नहीं चाहती। दे फोन दे मेरा।

तारा की आँखों में नींद होती है। अमर ने मैसेज में लिखा होता है.....   कल तुम्हें बस स्टॉप पर लेने आऊंगा, साथ चलेंगे।आइ लव यू तारा❤❤

वो बस दिल वाले इमोजी के साथ आइ लव यू लिखा देखकर मैसेज लिख देती है….. आइ लव यू टू, हाँ कल मिलते हैं और फिर से गहरी नींद में सो जाती है।

सुबह 9 बजे वो डांस स्कूल जाने के लिए घर से निकल ही रही होती है कि तभी दादी की मधुर आवाज़ कानों में पड़ती है।
दादी….. तारा बिटिया डांस स्कूल जा रही है?
हाँ दादी..
चल मैं भी चलती हूँ तेरे साथ…..

तारा हैरानी से दादी का चेहरा देखते हुए……

घबरा मत तेरे डांस स्कूल नहीं आ रही हूँ तेरे साथ। जहाँ से तू बस पकड़ती है ना, उसके पास वाले माता रानी के मंदिर छोड़ दियो तू मुझे आज। बहुत भीड़ भाड़ रहती है ना , उस तरफ तो अकेले डर लगता है।

पर दादी मैं तो पैदल जाऊंगी बस स्टॉप तक, आप चल लोगे क्या इतनी दूर तक पैदल?
पैदल क्यों जायगी तू मेरे होते हुए, ऑटो के पैसे मैं  दूंगी ना आज।

तारा मन ही मन सोचने लगी…. दादी तो कभी 10 रुपये भी एक बारी माँगने में आराम से नहीं देती और आज ऑटो का किराया देने के लिए तैयार है।
लगता है मंदिर जाना तो एक बहाना है। कहीं यह देखने के लिए तो नहीं चल रही कि मैं अकेले जाती हूँ या अमर मुझे लेने आता है बस स्टॉप पर।

अब क्या बताऊँ दादी को अमर इतना अच्छा भी नहीं है जो रोज मुझे बाइक पर लेने आये।

कहाँ खो गयी तारा, चल अब।

कुछ नहीं दादी सोच रही थी आप अकेले वापिस कैसे आओगे?
मेरी सहेली भी आने वाली है ना मंदिर में अपनी गाड़ी से, वो घर छोड़ देगी मुझे वापसी में। मेरी बात हो गयी है उससे।
ठीक है दादी चलो फिर चलते हैं।

10 मिनट में ही ऑटो से हम लोग बस स्टॉप पर पहुँच गये।
ऑटो से उतरे ही थे दादी और मैं तो बस स्टॉप से थोड़ा आगे अमर नजर आया अपनी बाइक पर। मेरी तो हालत खराब हो गई उसे सामने देखकर।
पागल है एकदम, बस स्टॉप पर आना ही था लेने तो कम से कम एक मैसेज तो कर देता।

ये तो शुक्र है अमर ने हैलमेट पहना हुआ था वरना दादी अगर उसे देख लेती तो सबके सामने ही अमृतवाणी शुरू कर देती अपनी।

मैंने दादी से कहा.... दादी चलो आपको मंदिर तक छोड़ देती हूँ।
दादी….. पहले तुझको बिठा देती हूँ बस में फिर आराम से चली जाऊंगी मंदिर,वैसे भी सामने ही तो है।
मैंने भी मन मारकर कहा….ठीक है दादी जैसी आपकी मर्ज़ी।

दादी के सामने मोबाइल देखती तो दादी को शक हो जाता। दादी यूँ तो इतना मोटा चश्मा पहनती थी लेकिन एक ही नज़र में भांप जाती थी कि माज़रा क्या है।

कुछ ही मिनटों में मेरी बस आ गयी और मैं दादी को बाय करके बस में बैठ गई। बस में बैठते ही अमर को फोन लगाया…..अगर तुम्हें मुझे बस स्टॉप पर लेने ही आना था तो पहले से एक मैसेज करके बता नहीं सकते थे।(गुस्से में)
अमर….. जब तुम्हें सुबह दादी के साथ ही आना था बस स्टॉप पर तो बता नहीं सकती थी रात को जब मैसेज किया था।

तारा दुबारा से मैसेज खोलकर देखती है। उसे अपनी गलती का एहसास होता है। दरअसल उसने पूरा मैसेज बिना पढ़े ही लिख दिया था….हाँ कल मिलते हैं।
वो झट से अमर को सॉरी कहती है और अगले बस स्टॉप पर मिलने के लिए कहती है।

तारा अगले बस स्टॉप पर उतर जाती है और अमर का इंतजार करने लगती है। कुछ ही मिनटों में अमर भी पहुँच जाता है और तारा को बाइक पर बैठने के लिए कहता है।
तारा अमर के कंधे पर हाथ रखकर बाइक पर बैठ जाती है।

अमर बाइक यूँ ही रोककर खड़ा रहता है।

तारा…..अब क्या हो गया अमर बाइक क्यों रोककर खड़े हुए हो?

अमर….पहले तुम देखो, तुम बैठी कैसे हो? गर्लफ्रेंड ऐसे बैठती है क्या बॉयफ़्रेंड के साथ बाइक पर?

तारा…. वो मुझे थोड़ा अजीब लगता है ऐसे बैठना।

अमर…..ओह तारा हम डांसर्स है। इससे ज्यादा तो हम एक दूसरे को डांस करते वक्त छू लेते हैं।

तारा…. हाँ लेकिन तब हम सिर्फ डांसर्स होते हैं ना, लेकिन अब हम गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड हैं। एक दूसरे से प्यार करते हैं, तुम समझते क्यों नहीं?

अमर…..ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी तारा....(गुस्से से)
अमर बाइक स्टार्ट करता है और दोनों निकल जाते हैं डांस स्कूल के लिए।

मौसम बड़ा सुहाना होता है। बाइक पर ठंडी-ठंडी हवा तारा के चेहरे को छू रही होती है। तारा को रास्ते में जाते-जाते गाना याद आने लगता है डांस शो वाला….. गूंजी सी है सारी फ़िजा, जैसे बजती हो शहनाइयाँ….. ना जाने कब वो आँखे बंद करके अमर की पीठ पर सिर रखकर, उसे कमर से पकड़कर बैठ जाती है, उसे पता ही नहीं चलता और धीरे-धीरे गाना गुनगुनाने लगती है।

तारा अपनी खुमारी में होती है और अमर अपनी।

तारा के यूँ करीब आने से अमर का दिल जोरो से धड़कने लगता है। तारा का करीब आना उसे एहसास दिला रहा होता है कि तारा सिर्फ उसकी है हमेशा के लिए।

❤सोनिया जाधव

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4 Comments

Sandhya Prakash

18-Dec-2021 09:39 PM

Good

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बेहद खूबसूरत

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Rohan Nanda

15-Dec-2021 09:02 PM

बेहतरीन....

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